Sambhal Jama Masjid Case: संभल जामा मस्जिद मामले में एक नया मोड़ आया है। हाईकोर्ट में रमजान (28 फरवरी) शुरू होने से पहले जामा मस्जिद को रंगने के लिए याचिका दायर की गई थी। ऐसे में कोर्ट ने इस पर आज की सुनवाई में साफ कर दिया है कि हम रंगरोगन की अगर इजाजत देंगे तो इस शर्त पर कि उसकी पूरी वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
वीडियोग्राफी के साथ ही कोर्ट ने कहा कि मस्जिद को रंगने का काम ASI की निगरानी में हो और इमारत को नुकसान न पहुंचे। बता दें, हाईकोर्ट शुक्रवार को फिर से सुनवाई करेगा। कोर्ट ने ASI से कहा है कि वो मस्जिद का मुआयना करके बताए कि रंगरोगन की जरूरत है या नहीं। ASI को निर्देश दिए हैं कि 28 फरवरी तक कोर्ट को रंगरोगन के बारे में अपनी राय से अवगत कराया जाए। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल ने कहा कि कोर्ट को ये भी देखना चाहिए कि रंगरोगन की वाकई जरूरत है भी या नहीं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archeological Survey of India) ने कहा कि हम 2-3 दिन में निरीक्षण करके कोर्ट को अवगत कराएंगे।
कलेक्टर और ASI अधिकारी की मौजूदगी में होगा रंग
कोर्ट ने कहा कि हिन्दू पक्ष की आशंकाओं का ध्यान रखते हुए इस कवायद को अंजाम दिया जाए। एएसआई के अधिकारी और कलेक्टर की मौजूदगी में ही रंगरोगन की इजाजत दी जाएगी। इस दौरान इमारत को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। हम रंगरोगन की इजाज़त सिर्फ इस सूरत में देंगे कि इस पूरी कवायद की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। हम हिंदू पक्ष की आपत्ति को समझते हैं और कोर्ट आपकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित करेगी।
हिंदू प्रतीकों को बिगाड़ने की साजिश
संभल मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमें मस्जिद कमेटी की मांग पर सख्त एतराज है। इमारत के अंदर रंगरोगन की आड़ में वो वहां मौजूद हिन्दू कलाकृतियों को बिगाड़ना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको अगर रंगरोगन करवाना है तो आप ASI को मस्जिद में अंदर आने दीजिए। मस्जिद कमेटी ने कोर्ट से कहा- हमने उन्हें एंट्री से नहीं रोका है। इसके अलावा मस्जिद कमेटी ने रंगरोगन के साथ लाइट, झालर भी मस्जिद में लगाने की मांग की है। इस पर हाई कोर्ट ने ASI से अपना एक अधिकारी वहां नियुक्त करने के लिए कहा। उसी अधिकारी की निगरानी में ये सब काम मस्जिद में हो सकता है।
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