क्रिकेट के खेल में हमेशा एक बात सुनने को मिलती है कि यदि किसी बल्लेबाज की तकनीक को परखना है, तो उसका इम्तिहान टेस्ट क्रिकेट में लेना चाहिए। वनडे और टी-20 के मुकाबले टेस्ट में एक बल्लेबाज को लम्बी पारी खेलने के इरादे से उतरना पड़ता है। उसे हर एक गेंद पर अपना पूरा ध्यान लगाना होता है, ताकि वह अधिक से अधिक देर तक मैदान के बीच में समय बिताने के साथ रन बनाए।
टेस्ट क्रिकेट में एक बल्लेबाज के रिकॉर्ड को जब देखा जाता है तो उसमें स्ट्राइक पर ध्यान नहीं दिया जाता, बल्कि वह किस औसत के साथ रन बना रहा है, इससे तय होता कि वह कितना महान खिलाड़ी है। हम सभी ने दुनियाभर में ऐसे कई महान खिलाड़ियों को देखा है, जिन्होंने अपने टेस्ट करियर में लंबी-लंबी पारियां खेली हैं। इसके अलावा कई ऐसे भी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अकेले ही एक दिन के बराबर फेंके जाने वाले ओवर खेले हैं।
भारतीय टीम के यदि महान टेस्ट खिलाड़ियों के नामों को देखा जाए तो उसमें सुनील गावस्कर से लेकर सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ तक का नाम शामिल होता है। लेकिन यदि धैर्य की बात की जाए तो उसमें सबसे पहले राहुल द्रविड़ का नाम आएगा। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कई बार अकेले दम पर विदेशी जमीन पर मुश्किल हालातों का सामना करते हुए भारतीय पारी को संभाला है। लेकिन द्रविड़ के संन्यास लेने के बाद टीम में उनकी जगह को भरना आसान काम नहीं था।
ऐसे में सभी के नजरें उस दौरान चेतेश्वर पुजारा पर गईं जो द्रविड़ की तरह अपना विकेट तोहफे में गेंदबाज को नहीं देते और लंबी पारियां खेलने के लिए पहचाने जाते हैं। पुजारा ने भारतीय टेस्ट टीम में अपने प्रदर्शन से मौजूदा समय में नंबर 3 पर जगह को पक्का किया हुआ है। वह एक दीवार की तरह टीम के लिए बल्लेबाजी के समय अपने काम को बखूबी अंजाम देते हैं।
साल 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुजारा ने किया कमाल
साल 2017 में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर टेस्ट सीरीज खेलने आई थी, जिसमें सीरीज का तीसरा टेस्ट रांची के मैदान पर खेला जाना था। इस मैच में मेहमान टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए अपनी पारी में 451 रन बना दिए थे। इसके जवाब में भारतीय टीम ने भी अपनी पहली पारी में 9 विकेट के नुकसान पर 603 रन बनाकर घोषित की।
इस स्कोर तक टीम को पहुंचाने में चेतेश्वर पुजारा ने अहम भूमिका निभाते हुए 202 रनों की पारी खेली, जिसमें उन्होंने 525 गेंदों का सामना करते हुए लगभग 11 घंटे तक बल्लेबाजी की। भारतीय क्रिकेट इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी बल्लेबाज ने टेस्ट फॉर्मेट में 500 या उससे अधिक गेंदों का सामना एक पारी में किया। इससे पहले भारतीय टीम के लिए एक पारी में सबसे ज्यादा गेंदें खेलने का रिकॉर्ड राहुल द्रविड़ के नाम था, जो उन्होंने साल 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी टेस्ट मैच के दौरान 495 गेंदों का सामना करते हुए बनाया था।
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