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Wednesday, December 9, 2020

सरकार नही वापस लेगी कृषि कानून, अब किसानों को मानना पड़ेगा सरकार का प्रस्ताव


दिल्ली।
 किसानों के विरोध और सरकार की पहल की बीच अब भी खींचतान जारी है। किसान अपनी जिद पर अड़े हैं तो सरकार किसानों के भविष्य की चिंता को जायज बता रही है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर धरना पिछले दो सप्ताह से जारी है। मंगलवार को बुलाये गये भारत बंद का राजनीतिक दलों ने समर्थन दियां शाम होते-होते तस्वीर बदलती दिखी। किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। कई घंटों तक चली इस बैठक में किसानों की मांग पर बात हुई और सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे। सरकार कानून में कुछ संशोधन करने पर राजी होती दिख रही है। भारत बंद का समय खत्म होने के तुरंत बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि शाम को गृह मंत्री अमित शाह कुछ किसान नेताओं से मिलेंगे। शाम सात बजे बैठक का वक्त तय हुआ। बैठक देरी से शुरू हुई। देर रात तक चली बैठक के बाद जब किसान नेता बाहर आए तो पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिखे। किसान नेताओं के मुताबिक, सरकार कृषि कानून वापस ना लेने पर अड़ी है और संशोधनों के साथ लिखित प्रस्ताव देने की बात कह रही है।

बुधवार को ही सरकार प्रस्ताव देगी, जिसपर किसान मंथन करेंगे। किसानों की ओर से कृषि कानून में काफी खामियां गिनाई गईं और कहा गया कि सभी कानूनों को वापस लिया जाये। अब सरकार ने जब ये साफ कर दिया है कि वह कानून वापस नहीं लेगी। ऐसे में किसानों की कुछ मुख्य चिंता को दूर करने की कोशिश की है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून में अभी किसान के पास कोर्ट जाने का अधिकार नहीं है, ऐसे में सरकार इसमें संशोधन कर कोर्ट जाने के अधिकार को शामिल कर सकती है।

प्राइवेट प्लेयर अभी पैन कार्ड की मदद से काम कर सकते हैं लेकिन किसानों ने पंजीकरण व्यवस्था की बात कही। सरकार इस शर्त को मान सकती है। इसके अलावा प्राइवेट प्लेयर्स पर कुछ टैक्स की बात भी सरकार मानती दिख रही है। माना जा रहा है किसान नेता किसानों के लिए कुछ प्रस्ताव के साथ मध्यस्थता को स्वीकार करेंगे। सरकार की ओर साफ कह दिया गया है कि कुछ संषोधन तो किया जा सकता है लेकिर कानून वापस नहीं होगा।

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