संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के राजदूत क्रिसटोफ हेयूसगेन की तरफ से जारी बयान पढ़े जाने के तुरंत बाद पाकिस्तान ने चीन के कर्ज में फंसे 55 देशों की तरफ से ड्रैगन का बचाव किया और हॉन्गकॉन्ग में दखलअंदाजी का विरोध किया। इसने कहा कि यह क्षेत्र चीन का हिस्सा है और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एक देश, दो सिस्टम को सुनिश्चत करेगा। इसके बाद क्यूबा ने 45 देशों के तरफ से बयान पढ़ते हुए चीन के आतंक और कट्टरता के खिलाफ उठाए गए कदमों का समर्थन किया। गौरतलब है कि चीन इसी नाम पर देश में उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न कर रहा है। एक दूसरे के विरोधी बयान चीन और पश्चिमी देशों के बीच मानवाधिकार को लेकर तनाव को रेखांकित करते हैं।
इन मुद्दों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है, इसके अलावा कोविड-19 महामारी, व्यापार और साउथ चाइना सी में बीजिंग के ऐक्शन को लेकर टकराव चरम पर है। 39 देशों की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश जून में 50 स्वतंत्र यूएन मानवाधिकार एक्सपर्ट्स की ओर से लिखे गए असाधारण लेटर की चिंता को साझा करते हैं, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से चीन पर नजर रखने के लिए सभी उचित कदम उठाने और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि चीन की सरकार मानवाधिकारों का सम्मान करे।
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