कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ भगवा हो चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) हमेशा से सुर्खियों का हिस्सा रहे हैं. राजनीति की दुनिया में ज्योतिरादित्य एक जाना-माना चेहरा हैं और जब सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थामा. तब से तो कांग्रेस पार्टी में भूचाल मचा हुआ है. सिंधिया जितने चर्चित राजनीति में हैं उतनी ही फेमस उनकी लव-स्टोरी है. जी हां, जिस महिला से सिंधिया को पहली नजर में प्यार हुआ था वह दुनिया की 50 सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल हैं.
सिंधिया की दिलचस्प लव-स्टोरी
ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) माधवराव सिंधिया के बेटे हैं. सिंधिया ने प्रियदर्शनी राजे सिंधिया (priyadarshini raje scindia) से 12 दिसंबर 1994 को शादी की. दोनों की पहली मुलाकात 1991 में हुई थी और जब पहली बार सिंधिया ने प्रियदर्शनी को देखा था तभी उनसे प्यार हो गया था.
जी हां, सिंधिया का प्यार पहली नजर वाला है. सिंधिया की धर्मपत्नी नेपाल के राजघराने से ताल्लुक रखती हैं. दरअसल उनके पिता कुमार संग्रामसिंह गायकवाड़ बरोड़ा का आखिरी शासक प्रताप सिंह गायकवाड़ के बेटे हैं. इस तरह वह एक राजकुमारी हैं.
पति के हर फैसले में शामिल
खबरें तो ऐसी भी हैं कि, सिंधिया के हर फैसले और राजनीतिक कदमों के पीछे उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी का हाथ होता है. यानि वह अपने पति के हर फैसले पर राय जरूर देती हैं.
कई राजनीतिक मौकों पर सिंधिया की वाइफ को सक्रिय देखा गया है.
दुनिया की 50 खूबसूरत महिलाओं में शामिल
प्रियदर्शिनी ग्वालियर की महारानी हैं और साल 2012 में फेमिना ने सिंधिया की वाइफ को दुनिया की 50 खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था.
जी हां, सिंधिया की पत्नी इतनी खूबसूरत हैं कि उनके आगे बॉलीवुड की हसीनाएं भी फीकी नजर आएंगी.
पहली मुलाकात
बताया जाता है कि, दोनों की पहली मुलाकात विदेश में हुई थी. उस समय सिंधिया विदेश में रहते थे. दोनों ने 1991 में एक-दूसरे को डेट करना शुरू किया था और 3 साल बाद शादी के बंधन में बंधे थे. प्रियदर्शिनी और ज्योतिरादित्य के एक बेटा महानआर्यमन सिंधिया और एक बेटी अनन्या सिंधिया हैं.
ऐसा कहा जाता है कि, प्रियदर्शिनी चाहती थीं कि उनकी अपनी बेटी परिवार की परंपरा को आगे लेकर जाए और हार्स राइडिंग सीखे. शायद इसी कारण अनन्या महज 8 साल की उम्र से हॉर्स राइंडिंग सीख रही हैं. अनन्या के पास एक घोड़ा है जिसका नाम गागा है.
बात अगर सिंधिया के राजनीतिक सफर की करें तो उन्होंने पिता के निधन के बाद साल 2002 में राजनीति में कदम रखा था. फिर तो सिंधिया ने कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं.
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