Treatment Of Type1 Diabetes: दुनिया भर में डायबिटीज सबसे तेजी से बढ़ती गंभीर बीमारियों में से एक है। मुख्य रूप से डायबिटीज (Diabetes) दो प्रकार की होता है: टाइप-1 और टाइप-2। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज (Diabetes) को संतुलित करने के लिए जीवन भर मेहनत करनी पड़ती है।
टाइप-2 डायबिटीज (Type-2 diabetes) को दवा के साथ-साथ जीवनशैली-आहार में सुधार करके नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि टाइप-1 मधुमेह के लिए रोगी को जीवन भर इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। हालांकि, अब इस दिशा में बड़ी सफलता मिली है। चीनी वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल प्रत्यारोपण (stem cell transplant) नामक एक नया उपचार खोजा है जो टाइप 1 डायबिटीज को ठीक कर सकता है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक वरदान
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक दशक से अधिक समय से टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित 25 वर्षीय महिला को एक आक्रामक सर्जिकल प्रत्यारोपण के बाद डायबिटीज से राहत मिली है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जरी (stem cell transplant) में केवल आधा घंटा लगा।
अब महिला डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पा रही है। वैज्ञानिकों ने बताया कि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (stem cell transplant) के जरिए महिला को करीब ढाई महीने में इस बीमारी से विशेष राहत मिली। अब वह बिना इंसुलिन के प्राकृतिक रूप से अपने शुगर लेवल (Sugar Levels) को नियंत्रित कर सकती हैं।
टाइप 1 डायबिटीज क्या है?
यह समझना बहुत जरूरी है कि टाइप-1 डायबिटीज आखिर है क्या, और इसे खतरनाक क्यों माना जाता है? टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune disease) है। यह बीमारी तब हो सकती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं अग्न्याशय (pancreas ) में इंसुलिन (Insulin) पैदा करने वाली कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देती है।
इंसुलिन (Insulin) के बिना, आपके रक्तप्रवाह में शर्करा (sugar) का निर्माण शुरू हो जाता है। जिससे बहुत अधिक नुकसान होता है। अब तक, टाइप-1 डायबिटीज वाले लोगों के लिए आइलेट प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपचार है, जिसमें मृत व्यक्ति के अग्न्याशय से आइलेट कोशिकाओं को निकालकर रोगी के यकृत में प्रत्यारोपित किया जाता है।
अच्छे परिणाम प्राप्त हुए
कथित तौर पर स्टेम सेल थेरेपी (Stem Cell Therapy) ने डायबिटीज के इलाज के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं। इस बीमारी का इलाज करने के लिए शोधकर्ताओं ने सबसे पहले मरीज से ही कोशिकाएं (cell) लीं और उनमें कुछ रासायनिक बदलाव किए।
इस प्रक्रिया में कोशिकाओं (cell) को आइलेट कोशिकाओं में बदल दिया जाता है, जिसके सफल परिणाम के बाद संशोधित कोशिकाओं को वापस मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
नहीं पड़ेगी इंसुलिन की जरूरत
पिछले साल जून में चीनी शोधकर्ताओं (Chinese Researchers) की एक टीम को क्लिनिकल रिसर्च के लिए मंजूरी मिली थी। जिसके बाद उन्होंने स्टेम सेल प्रत्यारोपण उपचार (stem cell transplant treatment) की खोज की।
इस उपचार के बाद, रोगी का उपवास रक्त ग्लूकोज स्तर धीरे-धीरे सामान्य हो गया और इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता लगातार कम हो गई। प्रत्यारोपण के 75 दिन बाद, रोगी को इंसुलिन इंजेक्शन की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं रह गई थी। जिसके बाद विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह थेरेपी टाइप-1 डायबिटीज के इलाज में जरूर मददगार साबित हो सकती है।
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