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Tuesday, October 13, 2020

बुध का तुला राशि में हो रहा है प्रवेश, ये चार राशि वाले रहें सावधान, कारोबार पर पड़ सकता है असर

 


साल 2020 के अक्टूबर माह में चार ऐसे ग्रह हैं जो एक राशि से दुसरी राशि में प्रवेश कर रहे हैं, इसी कड़ी में बुध ग्रह भी आने वाले 14 अक्टूबर को वर्की होने जा रहा है, बुध 14 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश कर रहा है। एक माह वक्री होने के बाद 3 नवंबर में ये मार्गी होंगे। ऐसे में कई राशियों के लिए उतार-चढ़ाव वाला समय होगा। इससे पहले बुध ने कन्या राशि से तुला राशि में 22 सितंबर को प्रवेश किया था, अब ये इसी राशि में ही वक्री होंगे।

मीन- बुध ग्रह जो जिसे व्यापार, बुद्धि और वाणी का कारक काह जाता है वह आने वाले इसी 14 अक्टूबर 2020 को वक्री होने जा रहा है। बुध तुला राशि में वक्री होगा। ज्योतिषविद इसे बहुत महत्वपूर्ण घटना मान रहे हैं। 3 नवंबर 2020 तक बुध की उल्टी चाल रहेगी। वक्री बुध का सभी राशियों पर अच्छा और बुरा दोनों तरह का प्रभाव पड़ने वाला है।

मेष- इस गोचर के वक्त वक्री अवस्था में बुध आपके सप्तम भाव में गोचर करेगा। यह आपके वैवाहिक जीवन में भी बहुत से उतार-चढ़ाव लेकर आ रहा है। इसके अलावा आपके पार्टनरशिप के बिजनेस में विवाद बढ़ सकते हैं। यदि आप शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं तो, अभी शादी की तारीख को बुध के मार्गी होने तक टाल दें अन्यथा परेशानी हो सकती है।

वृषभ- बुध वक्री अवस्था में आपके षष्टम भाव में प्रवेश करेगा। ज्योतिष में इस भाव को शत्रु भाव कहा जाता है। इस भाव से विरोधियों, रोग, पीड़ा, जॉब, कम्पीटीशन, रोग प्रतिरोधक क्षमता, शादी-विवाह में अलगाव एवं कानूनी विवादों को देखा जाता है। बुध का ये वक्री गोचर आपके लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा है।

मिथुन- वक्री बुध गति से आपके पंचम भाव में प्रवेश करेगा। इस भाव से रोमांस, संतान, रचनात्मकता, बौद्धिक क्षमता, शिक्षा एवं नए अवसरों को देखा जाता है। आपको जरूरत है- हर चुनौती के लिए खुद को तैयार रखने और प्रतिभाओं को समय रहते निखारने की। पारिवारिक जीवन में मां को आपके चलते कोई लाभ मिल सकता है। इस दौरान आप में आत्मविश्वास और रचनात्मक क्षमता की बढ़ोतरी साफ दिखाई देगी।

कर्क- बुध आपके चतुर्थ भाव में संचरण करेगा। कुंडली के चौथे भाव को सुख भाव कहा जाता है। इस भाव से माता, जीवन में मिलने वाले सभी प्रकार के सुख, चल-अचल संपत्ति, लोकप्रियता एवं भावनाओं को देखा जाता है। वक्री बुध के गोचर के दौरान, आप अपनी सारी ऊर्जा घर की मरम्मत और साज-सज्जा पर लगाते दिखाई देंगे।

सिंह- वक्री बुध आपके तृतीय भाव में प्रवेश करेगा. कुंडली में तीसरे घर को सहज भाव कहा जाता है। इस भाव से व्यक्ति के साहस, इच्छा शक्ति, छोटे भाई-बहनों, जिज्ञासा, जुनून, ऊर्जा, जोश और उत्साह को देखा जाता है। वक्री बुध आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। भाई-बहनों के साथ समय बिताएंगे। रिश्तों में आ रही दूरियां खत्म होगी।

कन्या- वक्री बुध आपके तृतीय भाव में प्रवेश करेगा। कुंडली में तीसरे घर को सहज भाव कहा जाता है। इस भाव से व्यक्ति के साहस, इच्छा शक्ति, छोटे भाई-बहनों, जिज्ञासा, जुनून, ऊर्जा, जोश और उत्साह को देखा जाता है। वक्री बुध आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। भाई-बहनों के साथ समय बिताएंगे। रिश्तों में आ रही दूरियां खत्म होगी।

तुला- वक्री बुध का गोचर, आपके प्रथम भाव में होगा। इसे लग्न भाव भी कहते हैं. प्रथम भाव को हमारे व्यक्तित्व का आइना बताया गया है। आपके लग्न में वक्री बुध का गोचर, आपके लिए बेहद शुभ साबित होगा। आपको भाग्य का साथ मिलेगा, जिससे आप अपने कार्य की हर बारीकी को समझते हुए ही उस कार्य को करेंगे।

वृश्चिचक- बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से द्वादश भाव में होगा। बुध ग्रह आपके लिए अष्टम तथा एकादश भाव का स्वामी है। ज्योतिष में द्वादश भाव व्यय भाव कहलाता है। इस भाव से खर्चे, हानि, मोक्ष, विदेश यात्रा आदि को देखा जाता है। ऐसे में इस गोचर के दौरान वक्री बुध आपको प्रतिकूल फल देगा।

धनु- वक्री बुध आपकी राशि के लिए सप्तम और दशम भाव का स्वामी ग्रह है। इस भाव से आय, जीवन में प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की उपलब्धियां, मित्र, बड़े भाई-बहनों आदि को देखा जाता है। बुध का ये वक्री गोचर, आपके लिए विशेष लाभकारी सिद्ध होने वाला है। इस दौरान आपको, अपनी कमज़ोर पड़ी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के कई अवसर प्राप्त होंगे।

मकर- बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से दशम भाव में होगा। ज्योतिष में दशम भाव, करियर और प्रोफेशनल, पिता की स्थिति, रुतबा, राजनीति एवं जीवन के लक्ष्यों की व्याख्या करता है। इसे कर्म भाव भी कहा जाता है। बुध का ये गोचर, मकर राशि के जातकों के लिए विशेष भाग्यशाली रहने वाला है। यह वो समय होगा जब आपको अपनी पूर्व की मेहनत अनुसार ही फल मिलेंगे।

कुंभ- बुध ग्रह वक्री अवस्था में आपकी राशि के नवम भाव में गोचर करेगा। ज्योतिष में नवम भाव को भाग्य भाव कहते हैं। इस भाव से व्यक्ति के भाग्य, गुरु, धर्म, यात्रा, तीर्थ स्थल, सिद्धांतों का विचार किया जाता है। इस गोचर से बेहद शुभ फलों की प्राप्ति होगी। आपको तरक्की व उन्नति के कई सुन्दर अवसर मिलेंगे।

मीन- वक्री बुध गोचर के दौरान आपके अष्टम भाव में प्रवेश करेगा। कुंडली के अष्टम भाव को आयुर्भाव कहा जाता है। इस भाव से जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, अचानक से होने वाली घटनाएं, आयु, रहस्य, शोध आदि को देखा जाता है। इसलिए मीन राशि के जातकों को वक्री बुध से कम अच्छे फलों की प्राप्ति होगी।

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