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Tuesday, October 20, 2020

क्या होगा यदि सी.ए.ए. और एन.आर.सी.लागू न हुआ !!! ?


भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने कल पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी ME कहा कि सी.ए.ए.यानी नागरिक संशोधन कानून, 2019 को बहुत जल्द लागू किया जाएगा।

इस घोषणा पर पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी नेतागण सख्त खफा हैं।
पर उन्हें शायद नहीं मालूम कि इसी साल केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में यह भी कह चुकी है कि
एन.आर.सी.यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जरूरी है।

केंद्र सरकार ने पहले यह जरूर कहा था कि एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर अभी नहीं बनेगा।
पर गत मार्च में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने शपथ पत्र में गृह मंत्रालय ने कह दिया कि ‘‘किसी भी सार्वभौम देश के लिए यह एक जरूरी काम है कि वह गैर नागरिकों की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करे।’’
एक अनुमान के अनुसार सी.ए.ए. के लागू हो जाने के बाद इस देश में करीब दो करोड़ गैर -मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बढ़ जाएगी।

एन.आर.सी.लागू होने के बाद करीब 5 करोड़ बंगलादेशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से हट जाएंगे।
किंतु ऐसी गंभीर समस्या पर हमारे नेताओं के बदलते रुख को जरा देखिए।
पश्चिम बंगाल में उन घुसपैठी मतदाताओं का लाभ पहले वाम मोरचा उठाता था।
तब उन फर्जी बंगला देशी मतदाताओं का विरोध करते हुए
4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर
के टेबल पर कागज का पुलिंदा फेंका था।
उसमें अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।
ममता ने कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।
ममता बनर्जी ने उस पर सदन में चर्चा की मांग की।
चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता
से इस्तीफा भी दे दिया था।

चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं था,इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।
अब ममता KI उस ‘महा विपत्ति’ पर क्या राय है ?
यदि ममता की सरकार उन्हीं अवैध घुसपैठियों के वोट पर
टिकी हैं तो क्या राय होगी ? !!!

ऐसे नेताओं की मौजूदगी जिस देश में हो,उसमें तो मेरा मानना है कि यदि इस देश को बचाना है तो न सिर्फ सी.ए.ए. बल्कि एन.आर.सी. और समान नागरिक कानून भी लागू करना ही पड़ेगा।
इससे कोई वोटलोलुप नेता या दल खुश रहे या नाराज।
अमेरिका,चीन ,जर्मनी और जापान कौन कहे,यहां तक
कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगला देश में भी
नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता कार्ड का
प्रावधान है।
कार्ड वहां के लोगों को दिए गए हैं।
पर, भारत में कुछ लोगों को एन.आर.सी. किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं है !!
क्यों भाई ?

इसलिए कि एन. आर. सी. विरोधी मुसलमानों और उनके वोट के लिए कुछ भी करने को उतारू नेताओं के लिए भारत कोई देश नहीं, बल्कि मात्र एक धर्मशाला है।
उनकी अघोषित रणनीति के अनुसार इस देश में जनसंाख्यिकी बदलाव की प्रक्रिया अभी जारी है।
जब प्रक्रिया पूरी हो जाएगी
तो फिर यहां भी एन.आर.सी.बन जाएगा जिस तरह पाक में भी है !!!
इधर इस देश के नकली सेक्युलर दलों के लिए देश से अधिक महत्वपूर्ण वोट बैंक ही है।
किसी भी समुदाय के किसी वाजिब मतदाता की मौजूदा स्थिति में इन कानूनों के लागू होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।फिर भी चिल्ल-पों और छिटपुट हिंसा जारी है।

इस तथ्य की पृष्ठभूमि में सी.ए.ए. और एन.आर.सी. के विरोधियों के हिंसक अभियानों के उद्देश्य को देखना चाहिए।
एक जानकार व्यक्ति से उद्देश्य पूछा गया तो उन्होंने बताया कि
सीएए लागू होने व एनआरसी तैयार हो जाने पर इस हिन्दू बहुल देश को धीरे -धीरे मुस्लिम बहुल बनाने का जो जेहादी प्रयास चल रहा है,उस प्रयास को धक्का लगेगा।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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